मांसाहारी भोजन मुसलमानों को हिंसक बनाता है?

मांसाहारी भोजन मुसलमानों को हिंसक बनाता है?

यह सही है कि आदमी जो कुछ खाता है उसका प्रभाव उसके व्यवहार पर पड़ता है। यह भी एक कारण है जिसकी वजह से इस्लाम मांसाहारी जानवरों जैसे-शेर, बाघ, चीता आदि हिंसक पशुओं के मांस खाने को हराम (निषेध) ठहराता है। ऐसे जानवरों के मांस का सेवन व्यक्ति को हिंसक और निर्दयी बना सकता है

इस्लाम केवल शाकाहारी जानवर जैसे-भैंस, बकरी, भेड़ आदि शांतिप्रिय पशु और सीधे-साधे जानवरों के गोश्त खाने के अनुमति देता है।

पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने मांसाहारी जानवरों को खाने से मना किया है

मांसाहारी जानवरों से संबंधित सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम में वर्णित हदीसों में हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) ने निम्नलिखित जानवरों के मांस खाने से मना किया है-

(क) नुकीले दांतवाले जंगली जानवर अर्थात मांसाहारी जानवर। यह ऐसे जानवर हैं जो बिल्ली प्रजाति के हैं, जैसे- बाघ, शेर, चीता, भेड़िया, कुत्ता आदि।

(ख) कुछ विशेष कुतरनेवाले जानवर, जैसे- चूहा, पंजेवाले ख़रगोश आदि ।

(ग) नुकीली चोंच और पंजे से शिकार करनेवाले पक्षी, जैसे- गिद्ध, चील, कौआ, उल्लू इत्यादि।

(घ) कुछ रेंगनेवाले जानवर जैसे- सांप, मगरमच्छ आदि।

इस संक्षिप्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि मांसाहारी भोजन मुसलमानों को हिंसक नहीं बनाता, जैसा कि आक्षेप लगाया जाता है।