र्इसा मसीह (अलै0)
Author Name: मुहम्मद जैनुलआबिदीन मंसूरी

र्इसा मसीह (अलै0) र्इश्वरीय दूत थे.........र्इश्वरीय दूत के सिवा और कुछ न थे। न तो उनमें दैवी गुण थे, न ही उनकी माता मरयम मे। वे दोनो र्इश्वर के दूसरे प्राणियों की भांति प्रतिदिन भोजन करते थे। कुरआन में हैं-

मरयम का बेटा मसीह इसके सिवा कुछ नही कि बस एक रसूल (पैगम्बर) था, उससे पहले और भी बहुत से रसूल हो चुके थे, उसकी माता एक सत्यवती स्त्री थी, और वे दोनो भोजन करते थे। देखों हम किस प्रकार उनके समक्ष यथार्थ की निशानियां स्पष्ट करते हैं, फिर देखों ये किधर फिरे जाते हैं,        (कुरआन, 5:75)

वह (र्इसा मसीह) बोल उठा, ‘‘मैं अल्लाह का बन्दा हूं, उसने मुझे किताब दी और नबी बनाया और बरकतवाला किया जहां भी मैं रहू। और मुझे नमाज और जकात (दान) की पाबन्दी का आदेश दिया जब तक मैं जीवित रहूं। और अपनी मां का हक अदा करने वाला बनाया, और मुझको जालिम और अत्याचारी नही बनाया। सलाम हैं मुझ पर जबकि मै पैदा हुआ और जबकि मैं मरू और जबकि मै जीवित करके उठाया जाऊं।’’ यह हैं मरयम का बेटा र्इसा और यह हैं उसके विषय में वह सच्ची बात जिसमें लोग सन्देह कर रहे हैं। अल्लाह का यह काम नही कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। वह पवित्र जात हैं, वह जब किसी बात का निर्णय करता है तो कहता हैं कि हो जा, और बस वह हो जाती हैं।


र्इसा मसीह (अलै0) को स्पष्ट निशानियां दी गर्इ

                            र्इसा मसीह (अलै0) का जन्म एक चमत्कार था। उनके कोर्इ पिता नही थे, इसी कारण पवित्र कुरआन में उनका उल्लेख ‘मरयम का पुत्र‘ कह कर किया गया है। परमेश्वर ने उन्हे आध्यात्मिक शक्ति और आदेश पवित्र आत्मा द्वारा प्रदान किया। र्इसा मसीह (अलै0) से सम्बन्धित कुछ असाधारण घटनाओं और चमत्कारों का वर्णन कुरआन स्पष्ट निशानियों द्वारा करता हैं।
हमने मूसा को ‘किताब’ (तौरात) दी, उसके पश्चात निरन्तर रसूल भेजे, अन्त में मरयम के बेटे र्इसा को स्पष्ट निशानियां देकर भेजा और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की। फिर यह तुम्हारा क्या ढंग हैं कि जब भी कोर्इ रसूल (र्इश्वरीय दूत) तुम्हारी अपनी इच्छाओं के प्रतिकूल कोर्इ चीज लेकर तुम्हारे पास आया, तो तुमने (उसके मुकाबले में) सरकशी ही की।

और जब र्इसा स्पष्ट निशानियां लिए हुए आया तो उसने कहा, ‘‘ मैं तुम लोगो के पास तत्वदर्शिता लेकर आया हूं और इस लिए आया हूं,कि तुम पर कुछ उन बातों की वास्तविकता खोल दूं जिनमें तुम मतभेद कर रहे हो, अत: तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानों’’    (कुरआन, 43:63)

ये रसूल ऐसे हुए हैं कि इनमें हमने कुछ को कुछ पर श्रेष्ठता प्रदान की।इनमें कोर्इ ऐसा था जिससे अल्लाह ने स्वंय बाते की, किसी को उसने दूसरी हैसियतों से ऊंचे दरजे दिए, और अन्त मे मरयम के बेटे र्इसा को खुली निशानियां प्रदान की और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की।    (कुरआन, 2:253)


और मरयम के बेटे और उसकी मां को हमने एक निशानी बनाया और उनको एक उच्च धरातल पर रखा जो इत्मीनान की जगह थी और स्रोत उसमें प्रवाहित थें।        (कुरआन, 23:50)

र्इसा मसीह (अलै0) की न हत्या हुर्इ, न उन्हे सूली पर चढ़ाया गया

यह तथ्य विचारणीय है कि र्इसार्इ धर्म के आरम्भिक समय में र्इसार्इयों का बेसीलीडन नामक गरोह इस पर विश्वास नही रखता था कि र्इसा मसीह की मृत्यु सूली पर हुर्इ हैं। उनकी धारणा यह थी कि किसी अन्य व्यक्ति को उनके स्थान पर सूली चढ़ाया गया। कुरआन का दृष्टिकोण यह हैं कि र्इसा मसीह की यहूदियों द्वारा न तो हत्या की गर्इ और न उन्हे सूली पर चढ़ाया गया, बल्कि कुछ ऐसी परिस्थितियों सामने आर्इ जिन्होने उनके शत्रुओं को सन्देह में डाल दिया।

कुरआन का उल्लेख हैं-

उन्होने कहा, ‘‘हमने मरयम के बेटे र्इशदूत र्इसा मसीह की हत्या कर दी हैं’’- हालांकि वास्तव में इन्होने न उसकी हत्या की, न सूली पर चढ़ाया बल्कि मामला इनके लिए सन्दिग्ध कर दिया गया। और जिन लोगो ने इसके विषय में मतभेद किया हैं वे भी वास्तव मैं सन्देह में पड़े हुए हैं, उनके पास इस मामले मे कोर्इ ज्ञान नही हैं, केवल अटकल पर चल रहे हैं। उन्होने उस (मसीह) की निश्चय ही हत्या नही की।         (कुरआन, 4:157)

र्इसा मसीह (अलै0) ने अनेकेश्वरवाद से रोका
                            मरकुस (12:29) के अनुसार र्इशदूत र्इसा (अलै0) का कथन हैं कि ‘सब आज्ञाओं में से यह मुख्य  है: हे इस्राइल सुन! प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु हैं।’
किसी सरदार ने उससे (र्इसा मसीह से) पूछा, ‘‘ ऐ उत्तम गुरू, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिए मैं क्या करूं?’’ यीशू ने उससे कहा, ‘‘तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोर्इ उत्तम नही, केवल एक, अर्थात् परमेश्वर।’’(लूका 18:18-19)
यूहन्ना (20:17) के अनुसार, र्इसा मसीह ने मरयम मगदलीनीस कहा, ‘‘मेरे भार्इयों के पास जाकर उनसे कह दें कि मै अपने पिता और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास उपर जाता हैं।’’ मत्ती (4:10) के अनुसार र्इसा मसीह ने शैतान को, र्इश्वर के सिवा किसी और देवी या देवता की उपासना करने की प्रेरणा देने पर फिटकारा।
कुुरआन के अनुसार र्इशदूत र्इसा मसीह ने इसरार्इलियों को चेतावनी दी कि यदि वे र्इश्वर की उपासना में दूसरों को साझी ठहराएंगे तो उनका परिणाम अत्यन्त दुखदायी होगी।

पवित्र कुरआन र्इसा मसीह के कथन का वर्णन करता हैं-

‘‘निश्चय ही कुफ्र (अधर्म) किया उन लोगों ने जिन्होने कहा अल्लाह मरयम का बेटा मसीह ही हैं। हालांकि मसीह ने कहा था कि, ‘‘ ऐ इसरार्इलियों, अल्लाह की बन्दगी करो जो मेरा प्रभु भी हैं तुम्हारा प्रभु’ भी। जिसने अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराया उसके लिए अल्लाह ने जन्नत वर्जित कर दी और उसका ठिकाना नरक हैं और ऐसे अत्याचारियों को कोर्इ सहायक नही।’’ (कुरआन, 5:72)



र्इसा मसीह (अलै0) परमेश्वर के पुत्र नही बल्कि उसकी रचना हैं।
                                    पवित्र कुरआन के अनुसार र्इसा मसीह (अलै0) परमेश्वर के पुत्र नही हैं, बल्कि परमेश्वर ने उनको वैसे ही पैदा किया, जैसे आदम को पैदा किया था। र्इसा मसीह (अलै0) के कोर्इ पिता नही थे, जैसा कि आदम (और हव्वा) के न पिता थे और न माता था।
निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि में र्इसा की मिसाल आदम जैसी हैं कि अल्लाह ने उसे मिट्टी से पैदा किया और आदेश दिया कि हो जा और वह हो गया। यह मूल तथ्य हैं जो तुम्हारे प्रभु की ओर से बताया जा रहा हैं और तुम उन लोगो में सम्मिलित न हो जो इसमें सन्देह करते हैं। यह ज्ञान आ जाने के पश्चात अब जो कोर्इ इस विषय मे तुमसे झगड़ा करे, तो ऐ बनी, उससे कहो, ‘‘आओं हम और तुम स्वयं भी आ जाएं और अपने-अपने बाल-बच्चों को भी लें आएं और र्इश्वर से प्रार्थना करें कि जो झूठा हो उसपर अल्लाह की फिटकार हों।’’        (कुरआन, 3:59-61)

कहो, ‘‘ऐ किताबवालों! आओं एक ऐसी बात की ओर जो हमारे और तुम्हारे बीच समान हैं। यह कि हम अल्लाह के सिवा किसी की बन्दगी न करे, उसके साथ किसी को साझी न ठहराएं, और हम में से कोर्इ अल्लाह के सिवा किसी को अपना प्रभु न बना लें।’’        (कुरआन, 3:64)

और सोचे कि जब (यह एहसान याद दिलाकर) अल्लाह कहेगा,
 
‘‘ ऐ मरयम के बेटे र्इसा, क्या तूने लोगो से कहा था कि अल्लाह के सिवा मुझे और मेरी मां को भी र्इश्वर बना लों?’’ तो वह उत्तर में कहेगा, ‘‘महिमावान हैं अल्लाह!मेरा यह काम न था कि वह बात कहता जिसके कहने का मुझे अधिकार न था। अगर मैने ऐसी बात कही होती तो तुझे अवश्य मालूम होता। तू जानता हैं जो कुछ मेरे मन मे हैं और मै नही जानता जो कुछ तेरे मन में हैं। आप तो सारे छिपे तथ्यों के ज्ञाता हैं। मैने उनसे उसके अतिरिक्त कुछ नही कहा जिसका तूने मुझे आदेश दिया था, यह कि ‘ अल्लाह की बन्दगी और सेवा करो जो मेरा प्रभु भी हैं और तुम्हारा प्रभु भी।’ मै उसी समय तक उनका निगरां था जब तक मैं उनके बीच था। जब तूने मुझे वापस बुला लिया तो फिर तू ही उनका निरीक्षक था। और तू तो सारी ही चीजों पर साक्षी हैं।’’     (कुरआन, 5:116-117)

निश्चय ही कुफ्र (अधर्म) की नीति अपनार्इ उन लोगो ने जिन्होने कहा, मरयम का बेटा मसीह ही अल्लाह हैं। ऐ नबी, उनसे कहो कि अगर अल्लाह मरयम के बेटे मसीह को और उसको मां और समस्त धरतीवालों को विनष्ट कर देना चाहे तो किसकी शक्ति हैं कि उसको इस निश्चय से रोक सके? अल्लाह तो धरती और आसमानों का और उन सब चीजों का मालिक हैं जो धरती और आसमानों के बीच पार्इ जाती हैं, जो कुछ चाहता हैं पैदा करता हैं और उसे हर चीज की सामथ्र्य प्राप्त हैं।         (कुरआन, 5:17)

लोगो ने कह दिया कि अल्लाह ने किसी को बेटा बनाया हैं। पाक हैं अल्लाह ! वह तो निस्पृह है, आकाशो ंऔर धरती मे जो कुछ हैं वह सबका स्वामी है। तुम्हारे पास इसके लिए इसके लिए आखिर क्या प्रमाण हैं? क्या तुम अल्लाह के बारे मे ऐसी बाते कहते हो जिसका तुम्हे ज्ञान नही हैं?         (कुरआन, 10:68)

उनका कहना है कि अल्लाह ने किसी को बेटा बनाया हैं। अल्लाह पाक हैं इन बातों से। वास्तविक तथ्य यह हैं। कि धरती और आकाशों मे पार्इ जानेवाली सभी चीजों का वह मालिक हैं, सबके सब उसके आज्ञाकारी हैं, वह आकाशों और धरती का आविष्कारक हैं, और जिस बात का वह निर्णय करता हैं, उसके लिए बस वह आदेश देता हैं कि ‘‘ हो जा’’ और वह हो जाती हैं।        (कुरआन,2: 116-117)

वे कहते हैं, ‘‘करूणामय प्रभु, सन्तानवाला हैं।’’ पाक हैं अल्लाह, वे (अर्थात फरिश्ते) तो दास हैं जिन्हे प्रतिष्ठित किया गया हैं।        (कुरआन, 21:26)

वे कहते हैं कि करूणामय (र्इश्वर) ने किसी को बेटा बनाया हैं- बड़ी ही अनर्गल बात है जो तुम लोग गढ़ लाए हो। निकट हैं कि आकाश फट पड़े, धरती फट जाएं, इस बात पर कि लोगो ने करूणामय के लिए सन्तान होने का दावा किया। करूणामय प्रभु की प्रतििष्ठा के प्रतिकूल हैं कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। धरती और आकाशों में जो भी हैं सब उसकी सेवा में बन्दों के हैसियत से (पुनरूज्जीवन के दिन) पेश होनेवाले हैं।     (कुरआन, 19:88-93)

यहूदी कहते हैं कि उजैर अल्लाह का बेटा है, और र्इसार्इ कहते हैं कि मसीह अल्लाह का बेटा हैं। ये असत्य बाते हैं जो वे अपनी जबानों से निकालते हैं उन लोगो की देखा-देखी जो इनसे पहले कुफ्र (अधर्म) में ग्रस्त हुए थे। अल्लाह की मार इन पर, ये कहां से धोखा खा रहे हैं। (कुरआन, 9:30)



र्इसा मसीह (अलै0) कुरआन के प्रकाश में

कुरआन की उपर्युक्त आयतो के अतिरिक्त कुरआन की अनेक दूसरी आयतों में भी र्इसा मसीह (अलै0) को वर्णन प्रत्यक्ष रूप में मौजूद हैं। उनमें से कुछ निन्नलिखित है-
जब र्इसा को उनके (बनी-इसरार्इल के) अविश्वास और इन्कार का आभास हुआ तो उसने कहा, ‘‘ कौन अल्लाह के मार्ग मे मेरा सहायक होता हैं?’’ हवारियों (साथियों) ने उत्तर दिया, ‘‘ हम अल्लाह के सहायक हैं, हम अल्लाह पर र्इमान लाए, गवाह रहो कि हम मुस्लिम (अल्लाह के आज्ञाकारी) हैं। ऐ हमारे रब, जो आदेश तूने अवतरित किया हैं हमने उसे मान लिया और रसूल का अनुसरण स्वीकार किया, हमारा नाम गवाही देनेवालों में लिख ले।’’    (कुरआन, 3:52 -53)

फिर इसरार्इली (मसीह के विरूद्ध) गुप्त उपाय करने लगे। उत्तर में अल्लाह ने भी अपना गुप्त उपाय किया और ऐसे उपायों में अल्लाह सबसे बढ़कर हैं।
(कुरआन, 3:54)

(वह अल्लाह का छिपा उपाय ही था) जब उसने कहा, ‘‘ ऐ र्इसा, अब मै तुझे वापस ले लूंगा और तुझको अपनी ओर उठा लूंगा और जिन्होने तेरा इन्कार किया हैं उनसे (अर्थात उनकी संगत से और उनके गन्दे वातावरण मे उनके साथ रहने से) तुझे पाक कर दूंगा और तेरे अनुयायियों को कियामत तक उन लोगो के उपर रखूंगा जिन्होने तेरा इन्कार किया हैं। फिर तुम सबको अन्त में मेरे पास आना है, उस समय मैं उन बातों का निर्णय कर दूंगा जिनमें तुम्हारे बीच मतभेद हुआ हैं।’’
(कुरआन, 3:55)

इसरार्इल की सन्तान मे से जिन लोगो ने इनकार की नीति अपनार्इ उनपर दाउद और मरयम के बेटे र्इसा की जबान से लानत की गर्इ क्योकि वे सरकश और उददण्ड हो गए थे और ज्यादतियां करने लगे थे, उन्होने एक दूसरे को बुरे कर्मो के करने से रोकना छोड़ दिया था।        (कुरआन, 5:78-79)


और जब मैने ‘हवारियों’ (मसीह के साथवालो) के दिलों में डाला कि मुझपर और मेरे रसूल पर र्इमान लाओं तब उन्होने कहा कि ‘हम र्इमान लाए और गवाह रहो कि हम मुस्लिम हैं’’- (हवारियों के सम्बन्ध में) यह घटना भी याद रहे कि जब हवारियों ने कहा, ‘‘ ऐ मरयम के बेटे र्इसा, क्या आपका प्रभु हम पर आकाश से भोजन से भरा थाल उतार सकता हैं?’’ तो र्इसा ने कहा, ‘‘ अल्लाह से डरो अगर तुम र्इमानवाले हो’’ उन्होने कहा, ‘‘ हम तो बस यह चाहते हैं कि उस थाल से भोजन करें और हमारे हृदय सन्तुष्ट हों और हमे मालूम हो जाए कि आपने जो कुछ हमसे कहा हैं वह सच हैं, और हम उसपर गवाह हों।’’ इस पर मरयम के बेटे र्इसा ने प्रार्थना की, ‘‘ऐ अल्लाह, हमारे प्रभु! हम पर आकाश से एक थाल उतार जो हमारे लिए और हमारे अगलों और पिछलों के लिए हर्ष का कारण ठहरे तेरी ओर से एक निशानी हो, हमे रोजी दें और तू उत्तम आजीविका-दाता है।’’ (कुरआन, 5:78-79)

उनके बाद हमने एक के बाद एक अपने रसूलों को भेजा, और उन सबके बाद मरयम के बेटे र्इसा को भेजा और उसको इंजील प्रदान की और जिन लोगो ने उसका अनुसरण किया उनके दिलों में हमने तरस और दयालुता डाल दी और रहबानियत (सन्यास) की प्रथा उन्होने स्वयं गढ़ी थी, हमने उसे उनके लिए अनिवार्य नही किया था, किन्तु अल्लाह की खुशी की तलब में उन्होने स्वयं ही एक नर्इ चीज निकाली और इसकी पाबन्दी करने का जो हक था उसे अदा न किया। उनमें से जो लोग र्इमान लाए हुए थे उनका प्रतिदान हमने उनको प्रदान किया, किन्तु उमने से अधिकतर लोग अवज्ञाकारी हैं।            (कुरआन, 57:27)

ऐ लोगो जो र्इमान लाए हो, अल्लाह के सहायक बनो, जिस तरह मरयम के बेटे र्इसा ने हवारियों को सम्बोधित करके कहा था, ‘‘ कौन हैं अल्लाह की ओर (बुलाने में) मेरा सहायक?’’ और हवारियों ने उत्तर दिया था, ‘‘ हम हैं अल्लाह के सहायक।’’ उस समय इसरार्इल की सन्तान का एक गरोह र्इमान लाया और दूसरे गरोह ने इन्कार किया। फिर हमने र्इमान लानेवालों का उनके शत्रुओं के मुकाबले मे समर्थन किया और वही छा कर रहें।        (कुरआन, 61:14)