इस्लाम का अर्थ
Author Name: इस्लाम एक परिचय:अबू मुहम्मद इमामुद्दीन रामनगरी

जिस प्रकार संसार मे बहुत-सी जातियॉ और बहुत से धर्म हैं उसी प्रकार मुसलमानों को भी एक जाति समझ लिया गया हैं और इस्लाम को केवल उन्ही का धर्म। लेकिन यह एक भ्रम हैं। सच यह हैं कि मुसलमान इस अर्थ मे एक जाति नही है, जिस अर्थ में वंश, वर्ण और देश के सम्बन्ध से जातियॉं बना करती हैं और इस अर्थ में इस्लाम भी किसी विशेष जाति का धर्म नही हैं। यह समस्त मानव जाति और पूरे संसार का एक प्राकृतिक धर्म और स्वाभाविक जीवन सिद्धांत हैं।

केवल किसी वंश, वर्ण, जाति और किसी भूखण्ड के सम्बन्ध से न कोर्इ इस्लाम में प्रवेश कर सकता हैं और न इस सम्बन्ध के विच्छेद से कोर्इ इस्लाम से बाहर हो सकता हैं। जो इस्लाम के सिद्धान्तों और आदेशों को मानता और उनके अनुसार चलता हैं वह मुसलमान हैं और जो उसके सिद्धान्तों को नहीं मानता और उसके आदेशों के अनुसार नही चलता वह मुसलमान नहीं हो सकता, चाहे वह किसी वंश, जाति और भूखण्ड का हो।
इस कथन को सिद्ध करने के लिए बाहरी लम्बे-चौड़े प्रमाणो की आवश्यकता नही, यह उद्देश्य इस्लाम के नाम से ही भली-भाति सिद्ध हैं, इस्लाम शब्द का अर्थ बताता हैं कि न उसका सम्बन्ध किसी विशेष व्यक्ति से हैं, न किसी विशेष जाति से न किसी विशेष देश से, इस्लाम एक स्वतंत्र शब्द हैं। इसका अर्थ हैं र्इश्वर को मान लेना, र्इश्वर के सामने सिर झुका देना, अपने को सर्वथा र्इश्वर के समर्पण में दे देना और सम्पूर्ण जीवन में उसका आज्ञाकारी बन जाना अर्थात् उसी की पूजा और बन्दगी करना और उसी के नियम और कानून के अनुसार जिन्दगी गुजारना।