‘‘दया करनेवालों पर महादयावान (र्इश्वर) दया करता हैं। तुम धरतीवालों पर दया करो, तुम पर आकाशवाला दया करेग। (मिशकात)
पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्ल0) ने फरमाया-
‘‘तुम जब एक-दूसरे पर दया न करो कदापि मुसलमान नही हो सकते।’’ लोगो ने कहा- ‘‘ऐ अल्लाह के पैगम्बर! हम सभी दया करनेवाले हैं।’’ आपने फरमाया- ‘‘तुममे से किसी व्यक्ति का केवल अपनों के साथ दया करना पर्याप्त नही हैं, बल्कि तुम्हारी दया सर्वसाधारण के लिए होनी चाहिए।’’ (तबरानी)
READ MOREकुरआन मजीद इतने उच्चकोटि की वाणी है कि उसे जो सुनता लहालोट हो जाता। हजरत मुहम्मद (सल्ल0) कुरआन पढ़कर लोगो को सुनाते, जो पढ़े-लिखे और समझदार थे वे इस पर र्इमान लाते कि यह र्इशग्रन्थ हैं। इस प्रकार कुरआन के माननेवालों की संख्या बढ़ने लगी और दुश्मनों की परेशानी बढ़ने लगी। जो इस पर र्इमान लाता उसको मारा-पीटा जाता, किसी के पैर मे रस्सी बॉधकर घसीटा जाता, किसी को जलती हुर्इ रेत पर लिटाकर उपर से भारी पत्थर रख दिया जाता, किसी को उलटा लटकाकर नीचे से धूनी दी जाती। फिर भी ये र्इमान लानेवाले पलटने को तैयार नही...
READ MORE‘‘ और र्इश्वर ही की उपासना करो और किसी चीज को उसका समकक्ष न ठहराओ। और माता-पिता के साथ, संबंधियो के साथ, अनाथों के साथ, निर्धनों के साथ, निकटवर्ती पड़ोसी के साथ तथा अजनबी (दूरवर्ती) पड़ोसी साथ, और पास के सहचरों के साथ, यात्री के साथ और उनके साथ जो तुम्हारे अधीन हो, सबके साथ भलार्इ का व्यवहार करो।’’ (कुरआन, 4 : 36)
10- मुसलमानों विशेषताएं
कुरआन मजीद मे अनेक स्थानों पर ऐसे गुणों को उल्लेख किया गया हैं जिनका मुसलमानों में होना आवश्यक है। हम नीचे उन गुणों का सार दे रहे हैं-
(i) उन र्इमानवालों ने सफलता...
READ MOREमानव-निर्मित जीवन-सिद्धान्त :-हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के दुनिया मे अन्तिम र्इशदूत के रूप में आने से पहले दुनिया का बड़ा बुरा हाल था। अब तक जितने र्इशग्रन्थ आ चुके थे वे सबके सब परिवर्तन का शिकार होकर बेकार हो चुके थे। सैकड़ो वर्ष से कोर्इ र्इशदूत भी नही आया। अत: पूरी दुनिया मे अराजकता ही अराजकता थी। मानव का हर स्तर पर शोषण हो रहा था। दुनिया के विचारक, समाज-सुधारक, दार्शनिक और सूफी-सन्त, ऋषि-मुनि मानव की इस दुर्दशा से बड़़े दुखी थे। वे मानव को इस संकट से निकालकर सुन्दर, सुगम और सुखदायी...
READ MOREएक स्थान पर यह बताते हुए कि स्वर्ग किन लोगो के लिए हैं तथा उनकी विशेषताए क्या हैं? कहा गया हैं-
(स्वर्ग उन लोगो के लिए है) जो सुख हो या दुख दोनो हालतों में परमार्थ के कामों में (धन) खर्च करते हैं और क्रोध को पी जाते हैं और लोगो के दोष क्षमा कर देते हैं।’’ (कुरआन, 3 :134)
एक स्थान पर पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल0) को सम्बोधित करके कहा गया हैं-
‘‘ऐ पैगम्बर! र्इश्वर की कृपा से तुम इन लोगो के प्रति नम्रताशील हो। यदि तुम क्रूर स्वभावी एवं कठोर हृदय होते तो लोग तुम्हारे पास से भा जाते। अत: इन लोगो का दोष क्षमा...
READ MOREऐ लोगो, बन्दगी इख्तियार करो अपने उस रब की जो तुम्हारा, और तुमसे पहले जो लोग हुए है उन सबका पैदा करनेवाला है, तुम्हारे बचने की आशा’ इसी प्रकार हो सकती है। (कुरआन, 2:21)
(1. अर्थात दुनिया मे गलत देखने और गलत काम करने से, और आखिरत (परलोक) में अल्लाह की यातना (अजाब) से बचने की आशा।)
ऐ लोगो, धरती मे जो हलाल (वैद्य) और अच्छी-सुथरी चीजे हैं उन्हे खाओं और शैतान के बताए हुए रास्तों पर न चलो। वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।
ऐ लोगो, अपने रब से डरो, (या अपने रब की नाफरमानी से बचो) जिसने तुमको ‘एक...
READ MORE‘‘ ऐ र्इमानवालों (मुसलमानों)! र्इश्वर के लिए न्याय की गवाही देने हेतु खड़े हो जाया करो और लोगों की दुश्मनी तुमकों इस बात पर तत्पर न करे कि तुम न्याय न करो। तुमको चाहिए कि (हर अवस्था में) न्याय करो, यही बात धर्मपरायणता से अधिक निकट है तथा र्इश्वर से डरते रहो। निस्संदेह! र्इश्वर उन तमाम कामों का ज्ञान रखता हैं जो तुम करते हो।’’ (कुरआन, 5:8)
‘‘र्इश्वर तुम कों आदेश देता हैं न्याय का, सदव्यवहार का और निकट संबंधियों को देने का और मना करता है निर्लज्जता से, दुष्कर्मो से तथा अतिक्रमण से। वह तुम्हे इन बातों...
READ MORE‘‘मुसलमानों! कोर्इ जाति (पुरूषो का कोर्इ समूह) किसी जाति (पुरूषों के किसी समूह न करे। संभव हैं वे अच्छे हो। और औरतें (भी दूसरी) औरतों का उपहास न करे, हो सकता है कि वे उनसे अच्छी हों। ( कुरआन, 49 :11)
7- दुर्भावना तथा परनिन्दा की मनाही
‘‘(किसी के प्रति) अत्याधिक गुमान से बचो क्योकि अनेक पाप होते हैं और एक-दूसरे की गुप्त बातों की जिज्ञासा न किया करो और न एक-दूसरे के पीठ निन्दा किया करो। क्या तुम में से कोर्इ इस बात को पसंद करता हैं कि अपने मुर्दा भार्इ का गोश्त खाए। उससे तो तुम अवश्य घृणा करोगे।...
READ MOREवास्तविक शासक
कुरआन के दृष्टिकोण से यह सारा ब्रहम्माण्ड जिस सृष्टिकर्ता ने रचा हैै वही इसका संचालक भी हैं। वह जिसको चाहता है उसको शासक बना देता हैं और जिसे चाहता है ंउससे शासन छीन लेता है। उसके विचारों पर कोर्इ सत्ता प्रभाव नही डाल सकती। कुरआन मे हैं:
कहो ! हे प्रभु राज्य सत्ता के स्वामी। तू जिसे चाहे राजपाट दे दे और जिसे चाहे छीन ले, जिसे चाहे इज्जत दे और जिसे चाहे रूसवा कर दे। तेरे ही हाथ मे सारी भलार्इ हैं। बेशक, तू प्रत्येक चीज पर सामथ्र्य रखता है। (कुरआन , 3 : 26 )
READ MORE